रोशनी के द्वार ही सुहाने होते है
चौखट पे इसके, दूरियां कम हो जाती है
अंधकार असमंजस है
लक्ष्य की राह भी इसमें खो जाती है…
क्षण क्षण गलना मोम की तरह
विश्वासघात है जीवन के संग,
अस्तित्व को पहचानो अपने
भर दो उसमें सारे रंग
सपनीले संसार की आयु जल्दी ढलती है
वासत्विकता की कठोर धरा पर
चौखट पे इसके, दूरियां कम हो जाती है
अंधकार असमंजस है
लक्ष्य की राह भी इसमें खो जाती है…
क्षण क्षण गलना मोम की तरह
विश्वासघात है जीवन के संग,
अस्तित्व को पहचानो अपने
भर दो उसमें सारे रंग
सपनीले संसार की आयु जल्दी ढलती है
वासत्विकता की कठोर धरा पर
ही ज़िंदगी पलती है…
शमशानी वैराग्य पालने से
बागों में ना तो फूल खिलते है
और ना सांसों की बांसुरी पर
सुख के गीत तैरते है…
आशा के दीप जलाकर मन में
आओ खुशियों की खोज करें
प्रण ले लें कि प्रेम भरा
एक काम तो हम हर रोज़ करें…
क्यूं ना बुलंदियों को छूने का
विश्वास मन में हम पालें
हर डगर पे सफ़ल होने की
आओ आदत हम डालें…
शमशानी वैराग्य पालने से
बागों में ना तो फूल खिलते है
और ना सांसों की बांसुरी पर
सुख के गीत तैरते है…
आशा के दीप जलाकर मन में
आओ खुशियों की खोज करें
प्रण ले लें कि प्रेम भरा
एक काम तो हम हर रोज़ करें…
क्यूं ना बुलंदियों को छूने का
विश्वास मन में हम पालें
हर डगर पे सफ़ल होने की
आओ आदत हम डालें…