Sunday 2 October, 2011

hum me hai hero !!!!!!

हम में है हीरो……
पेट्रोल के बढे हुए दाम की ख़बर हर दिन लगभग हर न्यूज़ चैनल और अखबार में आती ही रहती है। आम आदमी इतना परेशान और किसी बात से नही जितना महंगाई से है। एसी कमरों में बैठकर अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों की उथल-पुथल और डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत की बातें करने वाले, ये नही जानते है शायद कि रोज़ाना खाने-पीने के सामान से लेकर,दवाई,स्कूल-कॉलेज की फ़ीस,किताब,कॉपी,ड़ॉक्टर,आने-जाने की तक़लीफ़ और अनायास ही प्रकट होने वाले ख़र्चों के साथ खुद को “हर एक” कितना अकेला, परेशान और मजबूर पाता है।
         घर से सुबह निकलने वाला प्रत्येक व्यक्ति यह सोचता है कि कैसे चार पैसे ज्यादा कमा ले; ताकि बीवी को एक अदद डिनर करा सके, ताकि बच्चे को उसका मनपंसद खिलौना लाकर दे सके। गृहणी सोचती है कि, गैस सिलेंडर को किस तरह किफ़ायत से चलाय कि वो पहले से कुछ दिन और ज्यादा खिंच सके।बच्चों और पति की खाने-पीने की फ़रमाईशों कि कैसे पूरा करे???
मध्यम वर्ग की इस ज़द्दोज़हद को ना तो उच्च वर्ग समझता है और ना ही निम्न वर्ग को इन सबसे कोई मतलब है।चाहे रिश्तेदारियां निभाना हो या सामाजिक सरोकार,कोई भी बंधन ,व्यवहार,रीत-चलन,कर्त्तव्य  और अधिकार इन सब का अकेले ठेका इसी ‘जिम्मेदार’ वर्ग ने ले रखा है।
       सचिन के शतक ना बनाने पर नाराज़ होने से लेकर ,अमेरिका में प्रेसीडेंट क्यों और क्या कर रहे है; तक मध्यम वर्ग की पकड मजबूत है॥चोरी,डकैती,लूट,आतंकवाद से लेकर बम-ब्लास्ट का शिकार भी सबसे अधिक यही वर्ग होता है। अन्ना हजारे के समर्थन में मज़मा लगाना हो या फ़िर सारेगामा में विनर के लिए वोटिंग करनी हो। अमरसिंह को जेल जाना हो या एश्वर्या की प्रेग्नेंसी न्यूज़,,यही मिडिल क्लास हर जगह अपनी जागरुक उपस्थिति दर्ज कराता है।
समय के समानांतर चलते हुये,समाज की ये मुख्य धारा हर युग हर कालखंड में बलिदान करती आई है परंतु ये भी सच है कि मानो जीवन और समाज का अस्तित्व भी इससे ही है। अभावों और संघर्षों में भी जीने की अदम्य इच्छा  रखने वाला और स्वाभिमान को सर्वोपरि मानने वाला ये वर्ग घोर निराशा में भी हमेशा मुस्कुराता है। परंपराओं ,संस्कारों के संरक्षण का महान उत्तरदायित्व भी इसी के कांधों पर रहता है।हर समस्या को “अपनी” समस्या मानकर सोचने समझने और तर्क करने वाला ये वर्ग ही देश की आवाज़ है।
रहमान के लेटेस्ट गाने की लाईनें “हम में है हीरो” शायद इसी के लिए लिखी गई है। इतिहास साक्षी है कि समाज में कोई भी परिवर्तन हो, सबसे पहले यही वर्ग आगे बढकर उसे गले लगाता है। गोया कि हर हालात से तालमेल बिठाना और आगे बढते जाना ही मिडिल क्लास की तक़दीर है।
फ़िलहाल एक बार फ़िर मध्यम वर्ग की सतह पर हलचल हुई है और लहरों ने आने के संकेत दिए है। आधुनिक धुनों पर नाचनें, नये-नये गैजेट्स उपयोग करने, मॉल के हर कोने पर छा जाने(भले ही विंडो शॉपिंग के लिए) और हर छोटी बडी बातों में खुशियां तलाशने वाला ये सर्वाधिक शिक्षित वर्ग एक बार फ़िर कुछ बदलाव होने की आस लिए आसमान को ताक़ रहा है।
      जाने कब ये स्वयं की शक्ति को पहचानेंगे?? मेरे विचार से तो अभी लोहा गरम है और हथौडे में भी गरमी है; फ़िर मारने में देर क्यूं?? कहीं ऐसा ना हो कि महंगाई और भ्रष्टाचार इस भोले-भाले वर्ग को पूरी तरह निगल जाये और देश में केवल दो वर्ग रह जाएं जिनको हर हाल में सिर्फ़ और सिर्फ़ अप्रभावित रहना है।ईश्वर कहीं तो ऐसी आग जलाए जिसकी तपन मध्यम वर्ग तक पहुंच कर उसे नींद से जगा दे॥ आमीन…

5 comments:

  1. swadhaji hum bhartiyon ki Nind main rahane ki aadat sadiyon se barkaraar hai.........Pisa har koi chahata hai par Hrdwork koi nahi.......Jo aapane aap ko pahachaan le vo hi Hero......Jo Jeeta vo hi sikandar...........well written work......

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  2. मध्‍यम वर्ग की खासियत और तकलीफों को बेहतर तरीके से चित्रित करती पोस्‍ट। सच में यही वो वर्ग है, जो संसार के हर परिवर्तन को परिभाषित करता है... परिवर्तन से प्रभावित होता है.... पर अफसोस इस महत्‍वपूर्ण वर्ग को ध्‍यान में रखकर अब तक न सरकारें कोई योजना बना सकीं और न ही इस वर्ग के हित को लेकर कोई गंभीर हो सका........
    आपकी कलम को 'इस मध्‍यमवर्गी' का सलाम..........

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  3. बेचारगी के आलम में जी रहे मिडिल क्लास का दर्जा प्राप्त लोगों के दर्द को उकेरती बेहतरीन रचना स्वाधा जी....अफसोस बस इतना ही है की आज़ादी के बाद से आज तलक इनके हिस्से में केवल ज़ख्म ही आया है मरहम नहीं............

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  4. स्वधा ,लेख काबिले तारीफ है मगर .... मेरे हिसाब से जिंदगी का असली रस तो हम माध्यम वर्गीय परिवार ही लेते है .चाहे परिवार के साथ समय बिताना हो , दोस्ती निभाना हो , सपरिवार या दोस्तों के साथ छोटे मोटी यात्रा पर जा के जिंदगी भर की सुनहरी यादे संजोना या रोड के किनारे खड़े हो कर खोमचे भेल-पूरी चाट खा के खुश होना और भी इसी तरह की बहुत सारी चीज़े जिनका रस हम ही ले सकते है .....
    आज हम माध्यम वर्गीय परिवार देश की अर्थ-व्यवस्था है ..जो की मुझे अपने आप में गौरंवित करती है ....
    हम में इतनी ताकत है हम किसी भी बड़े ,छोटे प्रोडक्ट को सफल या असफल बना देते है ....ब्लैक-बेरी जैसी महंगी मोबाइल निर्माता कंपनी हो या महंगे जूते बनाने वाली रीबोक जैसी कंपनी जो सिर्फ महंगे प्रोडक्ट्स बनाने के दावे करते थे मगर उन्हें भी माध्यम वर्गीय परिवार की ताकत के आगे झुकना पड़ा और इकॉनमी प्रोडक्ट्स लाने पड़े और वो उनके सब प्रोडक्ट्स से कई गुना ज्यादा सफल भी हुए ...........
    मुझे माध्यम वर्गीय होने पे गर्व है ....

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