Tuesday, 24 January 2012

प्यार है या नही????


                      प्यार है या नही????                                
कितना आसान होता है ना,किसी को कह देना कि मुझे तुमसे प्यार नही है॥पर सुनने वाला दिल ही जानता है कि उसने ज़िंदगी मे एक और हार देख ली। किसी का सहारा बन पाना इतना भी मुश्किल नही मगर हर किसी के लिए इस दिल को धडकाया भी तो नही जा सकता ना?लोग दिल के रिश्तों को लेकर कुछ ज्यादा ही ज़ज़्बाती हो जाते है,,गोया कि प्यार नही तो ये दुनिया ही बेमानी है। एक हद तक सच भी है कि प्यार बिना ज़िंदगी वैसी ही होती है जैसे बिना नमक के सब्ज़ी…जिसे निगला तो जा सकता है पर खाया नही जा सकता।
  प्यार की गलियां इतनी संकरी होती है कि उस पर दो लोग भी साथ नही चल सकते…अगर चलना भी चाहे तो एक को दूसरे की बांहों में समा जाना होगा। ऐसे में ‘तीसरे’ की गुंजाईश ही कहां रह जाती है??? फ़िर भी जिसे देखो प्यार करने का दम भरता नज़र आता है। आजकल प्यार करना चलन में है। पहले ये ‘हिमाकत’ कुछ दिलेर ही किया करते थे या यूं कहें कि प्यार तो सब करते आये है पर ज़माने को बताने की हिम्मत कुछ ही करते थे मगर अब तो जिसने प्यार का जायका नही लिया उसका तो जीवन ही व्यर्थ है,उसकी सोसायटी में कोई वैल्यू ही नही॥ वैसे प्यार कभी ‘’आऊट ऑफ़ फ़ैशन’’ नही हुआ पर आज का प्यार ज्यादा मुखर हो गया है।
एक लडका और लडकी हर सोशल साइट पर चीख चीखकर अपने प्यार,इज़हार और इन्कार की बातें करते है,,हमराज़ों की फ़ौज़ तैयार रहती है जो इस भाव पर दोस्ती निभाते है कि; तू मेरी हेल्प करना,मै तेरा काम बनाने में हेल्प करुंगा। दोस्तों को हर नये अफ़ेयर पर पार्टी दी जाती है और लेटेस्ट हद तो ये हो गई है कि “ब्रेक-अप” पार्टी भी दी जाती है,,मानो रिश्ता नही कोई पिंड छूटा हो जिसके लिए जश्न मनाया जाय॥
एक 16 साल की लडकी ने शरमाते हुए मुझे अपने मोहब्बत की दास्तान सुना डाली और दृढता से कहा कि वो लडके से बहुत प्यार करती है और उसके लिए कुछ भी कर सकती है। मैने यूं ही  उससे कह दिया कि, एक बार यही बात अपनी मम्मी के लिए भी कहो ज़रा…  इस अप्रत्याशित कथन पर  एकबारगी उसकी आंखों में पश्चाताप,गुस्सा,प्रेम और विवशता के भाव उभरे और वह मौन हो गई। मैने कहा 16 सालों में अपनी मां से प्यार नही कर सकी तुम, फ़िर दिल में अचानक इतना सारा प्यार उसके लिए कहां से उधार ले आई हो??
पता नही मैं उसको अपनी बात समझा सकी या नही पर एक बात जो मैने समझी है वो ये कि;;प्यार बहुत मजबूर कर देता है, हर अच्छे-बुरे से नज़र फ़ेरने को, ताकि सिर्फ़ प्यार किया जा सके। प्यार स्वार्थी भी बना देता है और बहुत मजबूत भी,,प्यार दुस्साहस भी देता है और सहारा भी॥ प्यार ज़ामाने की सारी खुशी है और जीवन भर सताने वाला ग़म भी॥ प्यार तो करना ही चाहिए और हर कोई करता भी है पर निभाने का दम हर किसी के बस की बात नही।  जो निबाह लेता है वो खामोश हो जाता है और खामोशी उसके प्यार की भाषा बन जाती है॥ तो ज़रुरी नही कि प्यार करे और ढिंढोरा पीटें,,इसे अकेले महसूस करने का मज़ा ही कुछ और है………

8 comments:

  1. swadhaji ye nuclear yug hai aap or mera time alag thaa jisame hum log poore sansakaareet hain..par ye generation in cheeson se bekhabar hai...kyonki bachapan se hi in logon ka palaaa computer n TV se padaa hai.......Joint se aikal parivaar n now nuclear family........so in logon se aapani toolana karanaa bemaanee hai......pahale pyaar karanee walee ke liye in shabdon ko lafazo main lanaa kathin thaa par ye generation "bhagwaan bachaye"......

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    1. आपने पढा सर,, यही बहुत है मेरे लिये और आपके ये दो शब्द मुझे ॠणी बना गये॥ शुक्रिया जो आपने सत्य माना।

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  3. ." नि:शब्दता बहुत मुखर होती है, यह अहसास में बोलती है."

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    1. हां और इसके शब्द सीधे दिल तक पहुंचते है। आपका भी धन्यवाद कि आपने इस पोस्ट को समय दिया।

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  4. प्‍यार तो सदियों से वैसा ही है.. पर पहले के प्‍यार करने वालों और अब के प्‍यार करने वालों में बडा अंतर आ गया है। एक सरल उदाहरण दूं तो पहले का प्‍यार लैंड लाईन का प्‍यार होता था जबकि अब का मोबाईल और सोशल नेटवर्किंग का। न जाने कब कनेक्‍शन टूट जाए।
    लंबे समय की खामोशी के बाद प्‍यार के अहसास पर सुंदर पोस्‍ट के साथ आप वापस आईं, अच्‍छा लगा।

    गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं....

    जय हिंद...वंदे मातरम्।

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    1. अतुल जी मै तो यहीं हूं कही गई ही नही,पर शुक्रिया जो ये पोस्ट अच्छी लगी आपको। आप तो प्यार और खामोशी दोनो के मास्टर है॥
      आपको भी गणतंत्र दिवस की अशेष शुभकामनाएं।

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  5. हां श्री जी सही कहा,,न्यूक्लियर जेनरेशन में सब कुछ जेट की गति से होता है…

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