ॠतुराज बसंत अपने पूरे शबाब पर है॥और मौसम की खूबसूरत देखते ही बन रही है॥गुलाबी ठंड भाने लगी है और गुनगुनी धूप लुभाने लगी है।बागों में बहार आ गई है और एक खुशनुमा सा अहसास सबके दिलों पर खुद-ब-खुद छाया हुआ है॥ कुल मिलाकर पूरा समां ही ऐसा सुहाना है कि, किसी को भी प्यार हो जाये॥
दो दिन बाद ‘वैलेंटाईन डे” नामक विश्व व्यापी प्रेम दिवस है और युवाओं की अपनी दुनियां में त्यौहारों सा माहौल है। कार्ड्स और तोहफ़े वालों की खुशी का ठिकाना नही है। और सबसे अधिक चांदी फूल वालों की होगी जिनके पास लाखों के ऑर्डर होंगे॥प्रेमियों के लिये ‘आरक्षित’ यह उत्सव अब सीमायें लांघ चुका है और दोस्त, पति-पत्नी और आपस में कोई रिश्ता ना रखने वाले ; भी एक-दूसरे को फूल और उपहार देने लगे है।
पता नही कब और कैसे ‘ये दिन’ इस कदर लोकप्रिय हो गया??लोगों को अब एक-दूजे के साथ समय बिताने के लिये अवसर चाहिये,,इसलिये ऊटपटांग दिवसों का आयोजन अब आम हो गया है। आज प्रत्येक वस्तु और बात मीडिया के इर्द-गिर्द घूमती रहती है,इसलिए उन्हें ही सर्वाधिक श्रेय देना चाहिए किसी को भी लोकप्रिय बनाने में। प्रेमी मिलें ,बिछ्डें, रोयें, हंसें, कोई उनका समर्थन करे या विरोध; कुछ भी कैमरे से छिपा नही है। साधारण सी बात भी दुहराव के कारण खबर बन जाती है। इतने विरोधों के बावज़ूद प्यार के पंछियों की उडान में कोई कमी नही आती है। जिनको मिलना है,वो मिल ही लेंगे। भारतीय संस्कारों की दुहाई देने वाले टीवी चैनल्स 14 फ़रवरी के लिये विशेष कार्यक्रम तैयार कर रहे है और पत्रिकाओं ने ‘प्रेम-विशेषांक’ जारी कर दिये होंगे। और सर्वाधिक उत्साही मोबाईलधारियों में होड लग जाएगी उस दिन;सबसे नया,अनोखा और पहला मैसेज भेजने के लिये। फ़िर सारे मैसेज कुछ देर बाद सभी के इनबॉक्स में होंगे। कुल मिलाकर प्यार व्यवसाय बन गया है और मन की शाश्वत अनुभूति का सभी लाभ उठाना चाह रहे हैं।
अब विचारणीय बिंदु ये है कि जिसके लिये ये सारा तमाशा किया जाता है उसका क्या हाल है,अर्थात प्रेम का क्या हाल है? मेरे विचार से तो प्यार आज भी वैसे ही होता और पनपता है ,जैसे पहले हुआ करता था। बस अंतर इतना आया है कि प्रेम ने व्यवहारिकता सीख ली है,वर्जनाएं टूटी है और रिश्तों का टूटना अब आम खबर है। आज के प्रेमी जानते है कि बिना कैरियर के प्यार पाना मुश्किल है और अगर भाग्य से मिल भी जाये तो शायद उसकी कीमत कम होती है। लोग प्यार करते है फ़िर घरवालों की इज्जत,मां-पिता की इच्छा जैसे कारणों से ‘प्यार’ को ही छोड देते है,गोया कि प्यार नही कोई कपडे की दुकान है जिसे अपनी पसंद और हैसियत देखकर चुना जाये।
पर प्रेम बरसों पुराना सच है, और हर दिल से फूटने वाला झरना भी ॥ दिलों का टूटना पूरे अस्तिस्व को ही तोड कर रख देता है।फ़िर से कहती हूं कि प्रेम गली अति संकरी है और फ़िसलन भरी भी,जहां अपनी सहूलियत से पैर रखने की स्वतंत्रता हर एक को है ;;फ़िर भी सभी जानकर खुशी-खुशी फ़िसलते है और ताउम्र टूटे दिल की यादों में डूबकर जीवन का आनंद ढूंढते हैं॥
बहरहाल जय हो प्रेम की!!! हैप्पी वैलेंटाईन डे………
प्रेम के लिए तो पूरी उम्र कम पडती है फिर सिर्फ एक दिन.......
ReplyDeleteप्यार यदि सच्चा हो तो किसी दिवस का मोहताज नहीं होता।
बहरहाल, बढिया लेखन।
happy saint Valentine's day.
Deletejay ho prem ki .....sada.
u r right atul ji..pyar k lie to umr kam padd jaati hai....
Deletethankx for complimnt
apko bhi "St. valentine's day" ki bahut bahut shubhkaamnaae...gurjeet sir...
Deleteplzz kisi loving couple ko aap police wale pareshaan mat kariega... jus joking
जय हो प्रेम की..
ReplyDeleteहैप्पी वैलेंटाईन डे.
ReplyDeleteare mai to manch se hi door thi is din..fir se kaise charcha me bhag le sakti hu ya is par aae cmnt dekh sakti hu..plzz bataae????
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