Sunday 29 July, 2012

सिर्फ़ “प्यार” के नाम,,,


शादी के बाद सबकुछ बदल जाता है…दिन से लेकर रात और दिल के हर जज़्बात तक सबकुछ । पुरुषों के बारे में तो ज्यादा नही पता मगर महिलाएं तो अपनी हर भावना को बयां कर ही देती हैं…और बात अगर रोमांस और प्यार की हो तो कंजूसी का सवाल ही नही उठता,अगर सही वक्त पे सही साथी मिल जाए तो अरमानों की उडान ऊंची हो जाती है…शादी के बाद ‘पहले सावन’ की अनुभूतियों में वर्तमान और अतीत के मनोभावों को उजागर करती ये पोस्ट सिर्फ़ “प्यार” के नाम,,,एक अल्हड लडकी की कहानी मेरी जुबानी…।
अबकी बार सावन ढेर सारे अहसास लेकर आया है,उम्र सोलह की नही होने पर भी ये अहसास गुदगुदाते है और मैं बार-बार सिहरन को महसूस करती हूं। चाल में अजीब सी शोख़ी आ गयी है,बातों में अदा और आंखें हरपल मुस्कुराती रहतीं हैं। जाने क्या हो गया है बावरे मन को?
  अपने वजूद में हरपल किसी को महसूस करना बहुत ही रुमानी होता है और इस बारे में कहने के लिए सचमुच मेरे पास लफ़्ज़ नही है। ये कोई नई बात नही जो मैं कह रही हूं मगर ख़ुद महसूस करने से इसकी सच्चाई पर यकीन ज़रुर हो गया है। प्यार; सच्चा प्यार नसीब वालों को मिलता है और जिसे बार-बार मिले वो तो नसीबों का बादशाह होगा।दिल ये मानने को ही तैयार नही है मेरा,, कि सबकुछ फ़िर से हो रहा है जो पीछे छूट गया था…मगर माशा अल्लाह सबकुछ बहुत हसेएन हो रहा है॥
   पहले लगता था कि ये सब कोरी बकवास है,,क्या चांद में किसी का चेहरा नज़र आ सकता है? क्या हवाएं भी बातें कर सकती है? क्या अकेलापन भी कभी अच्छा लग सकता है? क्या बारिश की हर बूंद किसी के गीले बालों की याद दिला सकती हैं?? सब फ़िल्मी बातें हैं ;; कविताओं और कहानियों की निरी गप्प…… लेकिन नही, मैं ये सारे अहसास ख़ुद जी रही हूं । एक छोटी सी चीज़ में भी अपनापन ढूंढ लेती हूं आजकल । टीवी का कोई रोमांटिक सीन हो,,कोई प्यारा सा गाना हो,, मोबाईल का कोई टेक्स्ट मैसेज  हो,,कोई खास रंग हो,,कोई ख़ास वाकया हो;;;यहां तक कि बरबट्टी की सब्जी में भी किसी के होने का अहसास घुला मिला रहता है।
       कोई चीज़ खराब लगती ही नही;; हर कोई,हर बात, हर वक्त हसीन है। जागो तो किसी का ख़्याल और सो जाओ तो उसके सपने॥ और अब तो प्रेम का वह शिखर छूने का प्रयास है ,जहां बातों,मुलाकातों और रिश्तों की दरकार भी खत्म हो जाएगी। व्यस्तताओं के बीच बात ना होने पर भी स्वयं को ढांढस बंधा कर खुश रहने की कवायद, और दिल को एक मीठी सी तसल्ली कि…”उदास मत हो मेरी जान,वो तुझे याद कर रहा होगा”…जीवन में उजास भर रही है।
      मुझे लगता ही नही कि ये मैं हूं ॥ दुख, निराशा, अकेलापन इन सबसे उसने मुझे उबार लिया है। उसके जीवन भर में होने के अहसास से बाजुओं में ताकत महसूस होती है। वो मेरा आज है और आने वाला कल भी उसी से गुलज़ार है मैं जानती हूं।और प्यार की इतनी सारी स्मृतियां है अब तो मेरे पास, कि ज़िंदगी आराम से तो नही पर मगर आहें भर-भर के कट ही जाएगी॥
      जीवन में इससे अच्छा सावन मैनें नही देखा क्लास 8 के बाद से॥ नदी पर से गुजरती हूं तो तो छतरी लेकर तेज बारिश में पुल पर यूं ही घूमना याद आ जाता है। कोई खुद भीग कर अपनी छतरी दे दे,,इसे भी लोग फ़िल्मी कहेंगे; मगर मेरा तो यथार्थ है ये।  भीगे सर, तरबतर यूं ही बैठे रहना, गीली आंखों से छुप छुपकर एक-दूसरे का दीदार कि तीसरे को पता ना चले और वो गर्मागरम समोसा जो जवानी की  दहलीज़ पर पहले प्यार का पहला तोहफ़ा था!! और सबसे मज़ेदार होता था; सबकुछ जानकर भी अनजान बने रहना। ख़ैर इस सावन ने वो सारे भीगे,नर्म, हरे भरे अहसास फ़िर लौटा दिए।
      ये बीता हुआ हसीन कल और आज के खूबसूरत पल मुझसे कोई नही ले सकता,,आज दोनो ही मेरे पास है॥ 2 महीनों  में बरसात चली जाएगी पर नया मौसम नये अरमान, नई आस जगाएगा। अगले सावन जाने मैं कहां रहूंगी, सावन में भिगोने वाला कैसा रहेगा…मेरे पास रहेगा  या नही??? ये सब सोचने का वक्त नही मेरे पास क्योकि आज जो है उसी को समेटने की पुरजोर कोशिश में लगी हू ताकि अगले कई सावन इस सावन की याद में बीत जाए…


प्यार की रिमझिम से भीगे इस पोस्ट के साथ आपको सावन की हरियाली मुबारक!!!!!  

6 comments:

  1. Thanks Swadha ji ,aapne uss bachpan ki yaad dila di jab insaan dimaag se bachpan ka hota hai aur munn se javaan.ye wo jamana hota hai jab wo ye nahi sochta ki kaun usse kya kah raha hai bilkul mad must haanthi ki tarah aur chhallange marti hirni ki tarah.

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    1. thankoo so much sir..apko pasand aya yahi is post ki saarthak ta hai

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