चेहरा है चांद जैसा और
सितारें है तेरी आंखे
पतझड के मौसम में जैसे
बहारें है तेरी आंखे…
गुल की पंखुडी पर जैसे
शबनम है तेरी आंखे
कभी पथराई सी खामोश
और कभी सरगम है तेरी आंखें…
रुह के हर कोने तक
पहुंचे जो पैग़ाम है तेरी आंखें
अनजाना एक खूबसूरत सा
सलाम है तेरी आंखें…
सावन में तेरी याद में
तरसती है मेरी आंखें
और काले बादल सी इठलाकर
बरसती है तेरी आंखें…
कुछ ना कहकर भी सबकुछ
कह जाती है तेरी आंखें
दिल को एक भीगा सा
अहसास दे जाती है तेरी आंखें…
थम जाती हैं,धडकनें सबकी
जब झुक जाती है तेरी आंखें
जाने किसको खोजकर;यूं
रुक जाती है तेरी आंखें…
भर नज़र देख ले
एक बार अगर तेरी आंखें
बंद सांसों को ज़िंदा
करती है,उठकर तेरी आंखें…
खुशनसीब है वो जिसे
प्यार से निहारें तेरी आंखें
इस तकदीर की भी हसरत है
कि उसे सवांरें तेरी आंखें
सवांरें तेरी आंखें॥
''भर नज़र देख ले
ReplyDeleteएक बार अगर तेरी आंखें
बंद सांसों को ज़िंदा
करती है,उठकर तेरी आंखें…''
क्या खूब कहा है.............
हर लफ्ज जानदार..... हर भाव शानदार
इसे पढते हुए जरा भी नहीं झपकी मेरी आंखे.......
मेरी आंखे तेरी आंखे...
ReplyDeleteतेरी आंखे मेरी आंखे.
खुद को तराशती और ,
ReplyDeleteमुझे तरसाती तेरी आँखे ,
या आशमा से ओश की बूंदे
बरसाती तेरी आँखे ........ समंदर होकर भी प्यासी है , खारे है बूँद इसके ... शायद बंद पलको से यही बतलाती है ये आँखे ,........ तराश कर बनाई गयी , सी लगती है फिर भी , कभी सागर तो कभी झील , बन जाती है ये आँखे , पढ़ पाऊ आँखों को तेरे , देख इक पल इधर भी , खुद में खो जाता हू , जब देखती है तेरी आँखे ,............... ,,,, ...................................sukumar
बहुत सुन्दर.... किसके लिये लिखी है ये.....
ReplyDeleteधड़कन दिल की अमानत है
ReplyDeleteपलको से हिफाज़त करती है आँखे ,
ख़ुशी में भी भीग जाती है,
दुःख को बतलाती है तेरी आँखे...
शर्म-हया में झुक जाती है ,
तेज़ बया कर जाती है आंखे
प्रीत जगाती है दिल में
कभी निः:शब्द हों जाती है तेरी आंखे
जब बंद हों रहे निद्रा में
फिर भी ख्वाब दिखाती है आंखे
कौन कहता है आंखे बे-जुबान होती है
मुझको तो हर बात बताती है तेरी आंखे
आँखों पर क्या-कितना लिखू मै
मेरे ख्यालो में राज़ करती है तेरी आंखे......
....................................सुकुमार,
khoobsurat
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