Monday, 22 August 2011

THATS LOV

ठंडी  रातों में जागती आंखों में
जब आदतन मुझे खोजता होगा
भर के तकिया अपनी बांहों में
धीरे से आंसू पोंछता होगा।

हर साये पर चौककर वो
मेरे अहसास बुझाता होगा
मेरी बांहों के सिरहाने को तरसता
मेरी यादों  में खो जाता होगा।

मेरे ही सपने खुली आंखों  से
अश्क बन कर ढलकते होंगे
दिल में हर रात मुझसे मिलने के
कितने ज़ज़्बात सुलगते होंगे।

कितनी बार अपने दिल को समझाकर
उसने दिनरात गुजारे होंगे
कितनी अधूरी तम्मनाओं के सिलसिलें
मेरे ही वज़ूद के सहारे होंगे।

मुझे पाकर खो देने का
उसे आज भी ग़म होता होगा
भीड में भी तन्हा, उदास
मेरे ख्यालों में वो खोता होगा।
मुझे पाने की उम्मीद पर
पल-पल वो रोज़ रोया होगा
मुझको है जब नींद नहीं आती
कैसे मानूं कि वो सोया होगा॥

4 comments:

  1. so calculated word used by maths teacher , really showing impact of subject.

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  2. गहरे भाव।
    शब्‍दों का सुंदर तरीके से इस्‍तेमाल।
    एक शेर अर्ज है,

    ''हम तेरी तस्‍वीर रखकर अपने सीने पर कभी
    वो जमाना था कि तकिए को भिगो देते थे।''

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  3. उम्दा अभिव्यक्ति...आपका यह नया रूप भी कमाल है टीना जी....

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